
आंध्र प्रदेश ने ₹28,033 करोड की ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के तीसरे चरण की योजना का प्रस्ताव केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को सौंपा है। इस परियोजना के तहत 11 GW सौर ऊर्जा, 7,373 MW पंप्ड स्टोरेज और 8,862 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें ग्रिड से जुडेंगी।
आइऐ जानते हैं कि कैसे यह पहल आंध्र प्रदेश और भारत को 2030 तक के नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य की ओर ले जाएगी।
परिचय
भारत आज के समय में विश्व के अधिकांश देशों की तर्ज पर ऊर्जा के दौर से गुजर रहा है। भारत में जीवाश्म ईंधन पर से निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी दिशा में आगे बढते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। एपीट्रांसको (APTRANSCO) ने ₹28,033 करोड के ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना के तीसरे चरण (अंतिम प्रस्ताव) का प्रस्ताव केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को सौंपा है।
यह योजना न केवल आंध्र प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में कांतिकारी भूमिका निभाएगी, बल्कि भारत को उसके वर्ष 2030 के नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद करेगी।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएः-
इस परियोजना का तीसरा चरण ऊर्जा अवसंरचना (Energy Infrastructure) को मजबूत करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढावा देने पर केंद्रीत है।
- निवेश राशिः ₹28,033 करोड़
- 11 गीगावॉट सौर ऊर्जा का ग्रिड से जुडना।
- 7,373 मेगावॉट पंप्ट स्टोरेज क्षमता का विकास।
- 8,862 सर्किट किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनें।
- 9,500 एमवीए अतिरिक्त क्षमता का निर्माण
आंध्र प्रदेश सरकार की यह पहल भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) और कार्बन उत्सर्जन में कमी (Carbon Emission Reduction) की दिशा में मजबूत आधार देगी।

मौजूदा समय में चल रही परियोजनाएं और प्रगतिः-
स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर एपी पावर कोऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य-संयोजक और एपीट्रांसको की संयुक्त प्रंबध निदेशक कीर्ति चेकुरी ने राज्य की मौजूदा प्रगति का विवरण दिया।
- ₹8,638 करोड मूल्य की 69 परियोजनाएं क्रियान्वयन में हैं।
- इनसे 14,046 एमवीए क्षमता और 2,041 सर्किट किमोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें जुडेंगी।
- 2024-25 में ट्रांसमिशन लॉस 2.69% से घटकर 2.60% हो गया।
यह आंकडे साबित करते हैं कि राज्य ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) को बेहतर बनाने में लगातार सफल हो रहा है।
आर्थिक और तकनीकी लाभः-
ग्रीन एनर्जी परियोजना से केवल ऊर्जा क्षेत्र ही नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बडा लाभ मिलेगा।
- ऑप्टिकल ग्राउंड वायर लीजिंग से गैर-टैरिफ राजस्व बढकर ₹174.47 करोड़ हुआ।
- ISO 27001:2022 प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया।
- ज्वांइट मीटर रीडिंग ऐप, जिससे ₹750 करोड़ की बचत होगी।
इन सब उपलब्धियों से यह स्पष्ट है कि राज्य न केवल ऊर्जा उत्पादन में बल्कि डिजिटल नवाचार (Digital Innovation) में भी अग्रणी है।

APGENCO की हाइडल और सौर पहलः-
एपीजेनको (APGENCO) राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा का प्रमुख स्तंभ है।
- बडे हाइडल और पंप्ड स्टोरेज प्रोजक्टस विकसित किए जा रहे हैं।
- पीएम-कुसुम योजना के तहत 2.93 लाख पंपों को सौर ऊर्जा से जोडा जा रहा है।
- अब तक 39,863 घरों ने रुफटाप सोलर को अपनाया है।
यह पहल न केवल किसानों के लिए बल्कि शहरी उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी साबित होगी।
2030 तक भारत का ऊर्जा लक्ष्यः-
भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल कने का लक्ष्य रखा है। आंध्र प्रदेश की यह योजना इस लक्ष्य की दिशा में मील का पत्थर (Milestone) साबित होगी।
- प्रदूषण घटेगा।
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढेगी।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

नेतृत्व का योगदानः-
कीर्ति चेकुरी ने इस योजना की सफलता का श्रेय राज्य सरकार के नेतृत्व को दिया ।
- मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू
- ऊर्जा मंत्री गोट्टिपाटी रवि कुमार
- मुख्य सचिव के. विजयानंद
इनकी दूरदर्शी नीतियां और सहयोग आंध्र प्रदेश को भारत का ग्रीन एनर्जी हब बनाने में सहायक साबित हो रहे हैं।
निष्कर्षः-
₹28,033 करोड की ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर फेज-3 योजना आंध्र प्रदेश को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी। यह परियोजना केवल ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढाने तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में भी बडा योगदान देगी।
भारत के 2030 स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने में यह योजना निश्चित रूप से क्रांतिकारी कदम साबित होगी।
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