Nepal में 76% पैसेंजर वाहन अब Electric हैं। आईए जानें कैसे हाइड्रोपावर, सब्सिडी और चीन के सहयोग से नेपाल बना दुनिया का प्रमुख EV बाजार। नेपाल की नीतियां, प्रगति और चुनौतियों की पूरी कहानी।

परिचयः-
यह जान कर अपने आप में ही आश्चर्य सा लगता है कि नेपाल के 76% पैसेंजर वाहन अब Electric हैं परन्तु यह एक सच्चाई है। एक समय था जब नेपाल की राजधानी काठमांडू की तंग गलियों में धुंआ उडाते वाहन, हार्न की आवाजें और प्रदुषण आम सी बात थी। आज वहां बिजली से चलने वाली गाडियां शांति से सडकों पर दौड रही हैं व धीरे-धीरे प्रदुषण की चादर को भी हटाने लगी है।
पिछले 5 सालों में जबरदस्त EV क्रांतिः-
5 साल पहले, नेपाल में इलेक्ट्रिक वाहनों के बिकने की संख्या लगभग शुन्य थी। परन्तु वर्ष 2024-25 में, नेपाल में बिकने वाले सभी वाहनों में 76 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहनों में 50 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन थे। यह आंकडा नेपाल को विश्व के EV अग्रणी देशों में जैसे नार्वे, सिंगापुर और इथियोपिया के बाद चौथे स्थान पर खडा करता है। जो अपने आप में नेपाल के लिए गर्व की बात है।
सब्सिडी और हाइड्रोपावर का जादूः-
नेपाल में जलविद्युत की अपार संभावनाएं है,और उन्हीं नदियों के पानी से उत्पन्न हुई बिजली अब सडकों पर वाहनों के रुप में दौड रही हैं।वर्ष 2015 में भारत सरकार के साथ तेल आपुर्ति को लेकर पनपे तनाव के बाद नेपाल ने हाईड्रोपावर और ग्रिड नेटवर्क पर बडा निवेश किया है। जिससे अब लगभग सभी घरों में बिजली पहुंच चुकी है और “लोडशेडिंग” का दौर खत्म हो चुका है।
नेपाल की EV के क्षेत्र में सफलता कोई संयोग नहीं है। यह उनकी सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है जो सम्पुर्ण विश्व आज इसका असर देख रहा है।

टैक्स नीतियों ने बनाया रास्ताः-
नेपाल सरकार ने देश में EV क्रांति को तेजी देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर आयात शुल्क को पेट्रोल/डिजल गाडियों के मुकाबले बेहद कम रखा है। जिससे लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ रुख कर रहे हैं। नेपाल सरकार ने जहां पेट्रोल गाडियों पर 180% तक का टैक्स लगाया है। वहीं इलेक्ट्रिक गाडी पर सिर्फ 40% टैक्स तय किया गया है। इस नीति का यह असर हुआ कि नेपाल में ह्यूंडई EV SUV की कीमत 30 लाख रुपये से कम है, जबकि उसी माडल की पेट्रोल गाडी महंगी पडती हैं।

इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार, कारोबार में रफ्तारः-
नेपाल सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए बडे स्तर पर निवेश किया है। इसी दिशा में कार्य करते हुए पूरे देश में 62 चार्जिंग स्टेशन लगाए हैं तथा मुफ्त में ट्रांसफार्मर भी दिए हैं। इसके अतिरिक्त चार्जिंग उपकरणों के आयात पर न्यूनतम शुल्क लगाया है। सरकार की इन नीतियों के चलते होटल, ढाबों और रेस्टोरेंटस मालिकों ने भी निजी स्तर पर चार्जर लगाने शुरु कर दिए हैं। आज सम्पुर्ण नेपाल में लगभग 1200 सार्वजनिक चार्जर हैं और हजारों की संख्या में निजी रेजिडेंशियल चार्जिंग पांइटस भी हैं।
पूर्व प्रबंधक निदेशक कुलमान घिसिंग कहते हैं कि “ शुरु में सबको डर था कि EV चलेगी भी या नहीं। लेकिन हमने लगातार कोशिश की और आज सफलता दिख रही है।”
नेपाल पर चीन का प्रभाव और प्रतिस्पर्धाः-
नेपाल पर चीन का प्रभाव, नेपाल में EV क्रांति लाने के मुख्य कारणों में से एक है। चीन दुनिया का सबसे बडा EV निर्माता देश है। BYD जैसी बडी EV कंपनियों ने नेपाल में जबरदस्त निवेश किया है। यमुना श्रेष्ठा, जो पहले BYD के सोलर उपकरणों की मुख्य डिस्ट्रीब्यूटर थी। अब नेपाल में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर भारी निवेश कर रही है और वर्तमान में 18 EV शोरुम चला रही है। वर्ष 2025 में इनकी 4000 गाडियां बेचने की योजना है। नेपाल में चीनी वाहनों की बढती धमक में भारतीय वाहन निर्माता कम्पनियां पीछे छूटती जा रही हैं। सुजुकी और टाटा के डीलर्स मानते हैं कि चीनी वाहनों की कीमत और गुणवता दोनों ही बेहतर हैं।
काठमांडू के ऑटोमोबाईल एसोसिएशन के प्रमुख करन कुमार चौधरी कहते हैं कि “ये वही माडल हैं जो टेस्ला से टक्कर लेते हैं, लेकिन कीमत आधी है। उपभोक्ताओं के लिए यह फायदे का सौदा है।”

अगला मोर्चाः सार्वजनिक परिवहनः-
वैसे तो नेपाल को निजी EV गाडियों में बढत मिली है लेकिन नेपाल में अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हैं और अब भी अपनी दैनिक कार्यों के लिए सार्वजनिक बसों व बाईकों को इस्तेमाल करते हैं। जोकि पेट्रोल व डिजल से ही चलती हैं।जिससे पर्यावरण में प्रदुषण फैल रहा है।
ललितपुर के मेयर चिरी बाबू महारजन कहते हैं कि “हम अपने शहर में जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले वाहनों को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह कठिन है।”
नेपाल सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक बनाने के लिए 22 मिलियन डालर का निवेश किया है। जिसमें कि एक ‘साझा यातायात’ नामक सार्वजनिक बस सेवा शुरु की है। वर्तमान में इस सार्वजनिक बस सेवा के तहत 41 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, लेकिन इस सेवा को प्रभावी बनाने के लिए कम से कम 800 बसों को चलाने की जरुरत है।
इसी दिशा में आगे बढते हुए, हाल ही में चीन सरकार ने नेपाल को 100 मुफ्त इलेक्ट्रिक बसें देने की घोषणा की है। यह चीन सरकार की तरफ से नेपाल को न सिर्फ आर्थिक मदद है, बल्कि चीन का EV एक्सपोर्ट रणनीति का हिस्सा भी है।

चुनौतियाः-
- नेपाल सरकार के सामने सबसे बडी चुनौती बैटरी रिसाइकलिंग की है। अभी तक बैटरियों के रिसाइकलिंग की कोई योजना नहीं बनाई है।
- नेपाल सरकार ने हाल ही में EV के लिए डाउन पेमेंट बढा दिया है।
- EV इंपोर्ट से मिलने वाले टैक्स में गिरावट देखकर सरकार शुल्क बढाने की सोच रही है।
- एक बडी चुनौती गुणवता की भी है। कुछ सस्ते चीनी ब्रांडस की गुणवता पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिससे पूरे EV सेक्टर की छवि खराब हो रही है।
टाटा मोटर्स के डीलर राजन बाबू श्रेष्ठा कहते हैं कि “अगर नीति में स्थिरता नहीं रही, तो हमें फिर से पेट्रोल गाडियां बेचनी पड सकती हैं।”
क्या नेपाल की ये EV क्रांति अन्य देशों के लिए मिसाल है?
नेपाल की ये EV क्रांति जिसमें सस्ती हरित ऊर्जा, रणनीतिक टैक्स नीतियां और चीन से इलेक्ट्रिक वाहनों व सामान की आपुर्ति इत्यादि शामिल है। उन सभी विकासशील देशों के लिए मिसाल हो सकती है जो स्वच्छ विकास की राह देख रहे हैं।
निष्कर्षः-
नेपाल में इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति इस बात का जीता जागता प्रमाण है कि सरकार की सही नीतियों, जन समर्थन और वैश्विक सहयोग से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव संभव है। इसके बाबजूद सार्वजनिक परिवहन तथा बैटरियों की रिसाईकलिंग के क्षेत्र में अभी बहुत सा कार्य करने की आवश्यकता है। जो नेपाल के इलेक्ट्रानिक वाहनों के बाजार को नई ऊंचाईयों पर ले जायेगा । यदि नेपाल सरकार की नीतियां स्थिर रही, तो नेपाल की राजधानी काठमांडू से ही नहीं परन्तु सम्पुर्ण नेपाल से प्रदुषण की धुंध पूरी तरह साफ हो सकती है।
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