भारत की ऊर्जा क्रांति: 2025 में Green Hydrogen में निवेश के 7 दमदार कारण

भारत Green Hydrogen में दुनिया का अगला लीडर बनने को तैयार है। जानें 2025 में निवेश के 7 बड़े कारण, सरकारी योजनाएं और वैश्विक अवसर।

परिचय: –

आज पूरी दुनिया साफ और हरित ऊर्जा की तरफ तेजी से बढ़ रही है। प्रदूषण को कम करने और आने वाले भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए अब ऐसे ईंधन की ज़रूरत है जो पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाए। ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन (हरित हाइड्रोजन) एक बहुत बड़ी उम्मीद बनकर उभरा है।

भारत, जो पहले ही सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों में काफी आगे है, अब ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। भारत के पास प्राकृतिक संसाधनों की भरपूर मात्रा है, मजबूत सरकारी योजनाएं हैं और उद्योगों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि 2025 भारत में ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश करने के लिए एक सुनहरा मौका बन गया है

चलिए जानते हैं कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में क्यों आगे है और निवेशकों को इसमें क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए।


1. National Green Hydrogen Mission: सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता

भारत सरकार ने साल 2023 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की। इसका उद्देश्य है कि 2030 तक भारत हर साल 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करे।

इस योजना के जरिए:

सरकार की यह योजना ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए बेहद मजबूत नींव तैयार करती है।

Net Zero Emissions 2050

2. SIGHT स्कीम: हाइड्रोजन बनाने वालों के लिए मुनाफे की योजना

सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए SIGHT (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition) नाम की योजना शुरू की है।

इस योजना के तहत:

  • ₹17,490 करोड़ का निवेश किया जाएगा
  • कंपनियों को सब्सिडी और प्रोत्साहन दिया जाएगा जो हाइड्रोजन बनाने वाले उपकरण (electrolysers) बनाएंगी
  • जो कंपनियाँ ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करेंगी, उन्हें भी मदद मिलेगी

यह योजना कंपनियों को हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है और लागत कम करने में मदद करती है।


3. भरपूर प्राकृतिक संसाधन: भारत की ताकत

भारत के पास सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जलविद्युत (हाइड्रोपावर) जैसी प्राकृतिक ऊर्जा की भरपूर मात्रा है।

ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए पानी और बिजली की जरूरत होती है। भारत के पास ये दोनों संसाधन बड़ी मात्रा में हैं। साथ ही, सरकार अब ऐसे क्षेत्र बना रही है जिन्हें “ग्रीन हाइड्रोजन हब” कहा जाएगा – जहां ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन, भंडारण और सप्लाई एक साथ होगी।

इससे लागत भी कम होगी और काम आसान भी।

Picture of Hydrogen Plant

4. दुनिया के देशों के साथ साझेदारी

भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में दूसरे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। खासकर यूरोपीय यूनियन (EU) के साथ भारत की साझेदारी मजबूत हो रही है।

2024 में हुई एक बैठक में भारत और EU ने तय किया कि वे:

  • हाइड्रोजन से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएंगे
  • तकनीकी सहयोग करेंगे
  • आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) मजबूत करेंगे

इस तरह की साझेदारी भारत को वैश्विक स्तर पर लीडर बनाने में मदद कर रही है और विदेशी निवेश भी आकर्षित कर रही है।


5. इंडिया हाइड्रोजन अलायंस (IH2A): सरकारी और निजी कंपनियों की साझेदारी

भारत में एक खास गठबंधन बना है जिसका नाम है India Hydrogen Alliance (IH2A)। इसमें सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ बड़ी निजी कंपनियाँ भी शामिल हैं जैसे:

  • रिलायंस, BP, JSW स्टील, अरेबियन ऑयल कंपनी अरामको, हीरो फ्यूचर एनर्जी आदि
  • सरकारी नीति संस्था नीति आयोग भी साथ है

इस गठबंधन का मकसद है:

  • हाइड्रोजन की लागत को कम करना
  • भारत में हाइड्रोजन का नेटवर्क बनाना
  • 25 ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स पर काम करना

यह साझेदारी निवेशकों को भरोसा देती है कि भारत में ग्रीन हाइड्रोजन का भविष्य सुरक्षित और फायदे वाला है।

Picture shows environmental, social and governance

6. बंदरगाहों पर खास इंतज़ाम: निर्यात को बढ़ावा

भारत अब ग्रीन हाइड्रोजन को दूसरे देशों को भी निर्यात करने की योजना बना रहा है। इसके लिए सरकार देश के बंदरगाहों (पोर्ट्स) को तैयार कर रही है।

उदाहरण के लिए:

  • कांडला पोर्ट: यहां खुद के इलेक्ट्रोलाइज़र लगाए जा रहे हैं
  • तूतिकोरिन पोर्ट: हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात के लिए तैयार किया जा रहा है

इसके अलावा, पानी के जहाजों में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर भी पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। इस तरह भारत शिपिंग और मरीन सेक्टर को भी साफ ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में काम कर रहा है।


7. भारत और दुनिया में बढ़ती मांग

भारत में हाइड्रोजन की मांग बहुत ज्यादा है, खासकर:

  • उर्वरक कारखानों में
  • तेल रिफाइनरी में
  • स्टील इंडस्ट्री में

अब इन सभी क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। नीति आयोग के अनुसार, भारत का ग्रीन हाइड्रोजन बाजार 2030 तक $8 बिलियन (₹66,000 करोड़ से ज्यादा) का हो सकता है।

साथ ही, दुनिया भर में ग्रीन हाइड्रोजन की मांग भी बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। भारत इस दौड़ में जल्दी शामिल हो गया है, इसलिए निर्यात करने के लिए यह सबसे आगे रह सकता है


निष्कर्ष: क्यों 2025 सबसे अच्छा समय है?

भारत ने साफ कह दिया है – हम ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में पीछे नहीं, आगे रहेंगे। सरकार की योजना, निजी कंपनियों का समर्थन, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ और बढ़ती मांग मिलकर भारत को इस सेक्टर का ग्लोबल लीडर बना सकती हैं।

निवेशकों के लिए ये शानदार मौका है:

✅ मजबूत सरकारी नीतियाँ
✅ कम लागत में उत्पादन
✅ निर्यात का बड़ा अवसर
✅ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग

अगर आप साफ ऊर्जा में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत का ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर आपके लिए एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।


भविष्य साफ और हरित है – और भारत इसमें सबसे आगे है। अब समय है कि आप भी इस सफर का हिस्सा बनें।

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  2. रिलायंस की ग्रीन एनर्जी गीगाफैक्ट्रियाँ: जामनगर(गुजरात) में करेंगे 75000 करोड का निवेश।भारत ग्रीन एनर्जी से आत्मनिर्भरता की ओर।

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